विद्यार्थियों में पुस्तक संस्कृति को बेहतर बनाने के लिए अभिनव पहल - पुस्तक संवाद
सोशल मीडिया और इंटरनेट के जमाने में विद्यार्थियों में पुस्तकें पढ़ने की रूचि लगभग खत्म ही होती जा रही है। इस खत्म होती रूचि को पुनर्जीवित करने तथा पुस्तक संस्कृति लौटाने के लिए जिला कलक्टर श्री अभिषेक सुराणा की पहल पर चूरू जिले में ‘पुस्तक संवाद’ नवाचार किया गया है।
नवाचार के तहत दीपावली अवकाश के दौरान बच्चों को स्कूल लाइब्रेरी से किताबें इश्यू की गई तथा उसके ब्लॉक स्तर पर रिव्यू कॉम्पीटिशन का आयोजन किया गया। रिव्यू कॉम्पीटिशन में जिला व ब्लॉक लेवल पर अव्वल आने वाले विद्यार्थियों से 30 नवंबर, 2024 शनिवार सवेरे जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा ने घर बुलाकर मुलाकात की, संवाद किया, उनके अनुभव पूछे, उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया और पुस्तकें, बैग व प्रमाण पत्रा देकर सम्मानित किया।
चूरू जिला कलक्टर आवास गार्डन में हुए कार्यक्रम में आती हुई सर्दी में जाते हुए नवंबर की गुनगुनी धूप में विद्यार्थियों ने मुंशी प्रेमचंद, रवींद्र नाथ टैगोर, आर के नारायण और लियो टॉलस्टॉय की किताबों पर चर्चा की। साथ ही जिला कलक्टर से आईएएस बनने के टिप्स पूछे। जिला कलक्टर ने बड़े ही स्नेह-भाव से एक-एक की उलझनों को सुलझाया, कामयाबी के टिप्स दिए और बच्चों के सपनों को एक उड़ान दी। इस दौरान भारतीय और विश्व साहित्य से जुड़ी प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया और विजेताओं को सम्मानित किया गया।
मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया प्रभाव में किताबों से दूर होते बच्चों के लिए चूरू जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा पहल पर हुआ यह कार्यक्रम दूरदराज गांवों के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए यादगार बन गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला कलक्टर सुराणा ने कहा कि पुस्तकों का अध्ययन दुनिया के उत्कृष्ट दिमागों के साथ आपका संवाद स्थापित करता है। पुस्तकें आपके जीवन में वो राहें खोल देंगी, जिनके बारे में आपने कभी कल्पना ही नहीं की होगी। इसलिए जीवन में सोशल मीडिया व मोबाइल एडिक्शन से दूर रहें और ज्यादा से ज्यादा किताबें पढ़ें। विद्यार्थी काल किसी भी व्यक्ति के जीवन का सबसे स्वर्णिम समय होता है, इस महत्त्वपूर्ण समय में लक्ष्य बनाकर मेहनत करें और अपने सपनों को उड़ान दें। उन्होंने विद्यार्थियों के कैरियर संबंधी सवालों के जवाब दिए और अपने संस्मरण साझा किए।
जिला परिषद सीईओ श्वेता कोचर, एडीपीआर कुमार अजय, सीडीईओ गोविंद सिंह राठौड़, डीईओ प्रारंभिक संतोष महर्षि, महिला अधिकारिता विभाग के संरक्षण अधिकारी जयप्रकाश, सहायक निदेशक बिजेंद्र दाधीच, सीबीईओ अशोक पारीक, संदीप व्यास ने भी विचार व्यक्त करते हुए किताबों को सबसे अच्छा मित्रा बताया और बच्चों को प्रोत्साहित किया।। संचालन शिवकुमार शर्मा ने किया। एडीपीआर कुमार अजय ने बताया कि स्कूली बच्चों द्वारा लिखी गई बेहतर समीक्षाएं पत्रा-पत्रिकाओं में प्रकाशित करवाई जाएंगी।
जिला कलक्टर निवास पर अल्पाहार के बाद बच्चों को पुरातात्विक वस्तुओं के संग्रहालय नगरश्री संस्थान का भ्रमण करवाया गया। विद्यार्थियों ने वहां बकरा गाड़ी, सैकड़ों साल पुरानी बहियां, विभिन्न उत्खनन में निकली सामग्री, पुस्तकें आदि देखकर हैरानी जाहिर की। नगरश्री के सचिव श्यामसुंदर शर्मा ने विद्यार्थियों को नगरश्री संस्थान में संग्रहीत वस्तुओं की जानकारी दी। कार्यक्रम में शामिल हुए विद्यार्थियों खुशी टांक, पूजा, ममता सहारण, वर्षा प्रजापत आदि ने इस अनुभव को अद्भुत और यादगार बताते हुए जिला कलक्टर, शिक्षा विभाग और महिला अधिकारिता विभाग के इस नवाचार की सराहना की।
मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी गोविंद सिंह राठौड़ ने बताया कि वर्तमान में बच्चे पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं तथा पाठ्यपुस्तकों के अलावा अन्य पुस्तकों के लिए रूझान कम ही है। ऐसे में जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा विद्यालयों और सुदूर स्थानों की पुस्तकालय व्यवस्था को बेहतर बनाना चाह रहे हैं। इसी क्रम में, उनके निर्देशन में बच्चों को दीपावली अवकाश के दौरान पुस्तकें दी गई और उनके रिव्यू पर प्रतियोगिता आयोजित की गई। अब बच्चों को नियमित तौर पर पुस्तकेंू दी जाएंगी। ‘नो बैग डे’ पर उनसे रिव्यू लिखवाया जाएगा और उसमें अव्वल आने वाले बच्चों को इसी प्रकार जिला कलक्टर से मुलाकात और संवाद का अवसर मिलेगा।

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